अधिगम के वक्र एंव पठार (Learning Curve and Plateau)
अधिगम के वक्र :-
अधिगम की मात्रा एवं अधिगम में लगने वाले समय के मध्य परस्पर रेखांकन करने वाले ग्राफ को वक्र कहते हैं।
- अधिगम के वक्र चार प्रकार के होते हैं।
(i) सरल रेखीए वक्र (Curve of Equal Returns):-
- इसमें समय के साथ अधिगम की मात्रा सामान रहती है।
- इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है-
- समान उपलब्धि वक्र
- रेखिय त्वरण वक्र
- सामान निष्पादन वक्र
(ii) नतोदर वक्र (Concave type of Curve):-
- इस वक्र में पहले सीखने में अधिक समय लगता है, परन्तु बाद में कम समय लगता है।
- बढ़ता हुआ ग्राफ
- धनात्मक बक्र
- सकारात्मक वक्र
- वर्तमान निष्पादन वक्र
(iii) उन्नतोदर वक्र (Convex type of Curve):-
- इस वक्र में पहले कम समय में अधिक अधिगम होता है, परन्तु समय के साथ अधिगम की मात्रा कम हो जाती है।
- इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है-
- घटता हुआ वक्र
- नकारात्मक वक्र
(iv) मिश्रित वक्र (Combination type of Curve):-
- यह वक्र सरल वक्र, नतोदर तथा उन्नतोदर वक्र का मिश्रित रूप है।
- सर्पिल आकार वक्र
- S type वक्र
(2) अधिगम के पठार (Learning Plateau):-
- जब प्रयासों के बाद भी अधिगम की गति तीव्र या मंद नहीं होती तथा अधिगम ग्राफ में एक स्थिरता आ जाती है। इसे अधिगम मे पठार कहा जाता है।
अधिगम के पठार के कारण:-
- सीखने की अनुचित विधि
- रूचि की कमी
- अभिप्रेरणा का अभाव
- कार्य आवश्यकता के अनुरूप नहीं होना
- सीखने की अनुचित विधियाँ
- अभ्यास की कमी
- जटिल कार्य का होना
- वातावरण
- परिस्थितियां
- शिक्षण सहायक सामग्री
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