जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धान्त (Piaget's Cognitive Development):-
जीन पियाजे:- जन्तु-विज्ञान शास्त्री
जन्म- 1896 (स्वीटजरलैंड)
मृत्यु -1980)
पियाजे के अनुसार:-
·
जच्चे नन्हें वैज्ञानिक होते है।
·
बच्चे या बड़े व्यक्ति की सोचने की छमता समान
होती है, परन्तु प्रकार अलग-अलग होता है। (Quantity same But Quality Different)
·
मनुष्य के जीन ज्ञान का निर्माण करते हैं।
·
बच्चा मानसिक संरचना के साथ पैदा होता है।
·
14 या 15 साल में अधिकतम विकास प्राप्त
कर लेता है।
·
बच्चे या बड़े व्यक्ति की सोचने की छमता (Quantity) बराबर होती है।
स्कीमा (Schema):-
o
वह मानसिक संरचना जिसके द्वारा वस्तुओं को
पहचान पाते है।
o Pockets of Information.
मानसिक क्रियाएं:-
o जन्मजात:- दूध पीना, हाथ पकड़ना, देखना।
o अर्जित:- पढना, लिखना।
Note:- कुछ मानसिक संरचना समय के साथ समाप्त हो जाती है।
पियाजे के अनुसार भाषा और विचार:-
·
विचार पहले आता है,
भाषा बाद मे विचारों से निर्धारित होती है।
संज्ञानात्मक विकास के चार तत्व (4 Elements):-
(1). परिपक्वता (Maturation):-
·
बच्चा आयु के साथ
ही सीखता है, किसी काम को आयु से पहले नहीं
कर सकता।
(2). Experience (अनुभव):-
·
बच्चा क्रिया करके
सीखता है।
·
चीजों को तोड़कर, खोलकर सीखता है।
(3). सामाजिक
अन्तःक्रिया (Social interaction):-
·
समाज से जुड़कर
अपनी समझ बनाता है।
(4). संतुलन (Equilibration):-
· क्रिया करके सीखकर संतुलन स्थापित करना।
इसके दो भाग हैं-
(i). Adaptation (अनुकूलन)
·
Assimilation (आत्मसात):
नया स्कीमा बनाना।
·
Equilibration (संतुलन
):- स्कीमा को संतुलित करता है।
·
New Situation (नवीन
परिस्थितियाँ):- कोई नया स्कीमा बनाता है।
·
Disequilibration (असंतुलन):- नये स्कीमा को पुराने स्कीमा में संतुलन नहीं
बना पाता।
·
Accommodation (समायोजन):- नए स्कीमा तथा पुराने स्कीमा मे समायोजन
स्थापित करना।
(ii). Organization (संगठन):-
·
सूचनाओं को
एकत्रित करके स्कीमा मे जोड़ना तथा वर्गीकृत करना। (कम्प्यूटर के फोल्टर की तरह)
संज्ञानात्मक विकास के चरण (Stages of Cognitive Development)
(1).संवेदीगामक अवस्था (Sensorimotor):- ...(0-2)
वर्ष तक।
- पेशिय-गामक अवस्था भी कहा जाता है।
- बच्चा इन्द्रियों के द्वारा सीखता है।
o इन्द्रियों के प्रयोग से सोचता है।
o Sensors:-
आँख, कान, नाक, मुहँ त्वचा आदि।
- वस्तु-स्थाईत्व (Object Permanent) आ जाता है।
o Out of sight, Out of mind की स्थिती नहीं रहती।
o नजर के सामने से वस्तु हटने पर उसे ढूँढने/
रोने का प्रयास करता है।
- विलम्बित अनुकरण (Deferred imitation) का गुण आ जाता है।
o किसी कार्य को देखकर बाद में उसे वैसे ही
करना।
- दिशा-निर्देशित (Goal Directed) व्यवहार करने लगता है।
o किसी चीज को देखकर उसकी तरफ जाना तथा उस
तक पहुंचने के लिए प्रयास करना।
(2). पूर्व
संक्रियात्मक अवस्था (Pre-Operational Stage):- ….(2-7) वर्ष
- तर्क पूर्व अवस्था।
o तर्क नहीं पाया जाता।
- आतार्किक चिंतन की अवस्था (Illogical Thinking) .
- सहज विचार (Intuitive thought) आने लगता है।
o बच्चे को लगता है उसे बहुत आता है
o प्रश्न पूछने लगता है।
- अहं-केन्द्रित (Egocentric) होता है।
o बच्चा सोचता है कि जो मुझे अच्छा लगता है वो
सभी को अच्छा लगता है।(self
Centered)
- सजीववाद/ जीववाद (Animism) का गुण होता है।
o र्निजीव को सजीव समझता हैं।
o कुर्सी आदि से चोट लगने पर उसको पीटता है।
- पल्टावीपन (reversibility) नही होती।
o बच्चे अपने विचारों को Reverse नहीं कर सकते।
(3). मूर्त
संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational) :-...वर्ष (7-11)
- मूर्त चिंतन/ तार्किक चिंतन/ logical Thinking/ Inductive thinking.
- वैचारिक चिंतन
- संरक्षण (Conservation) आ जाता है।
o बच्चा यह समझ जाता है कि आकार, भार आदि के परीवर्तन से वर्तन
में रखी वस्तु की मात्रा समान रहती है।
- पल्टावीपन (Reversibility) आ जाता है।
o विचार/ चीजों को Reverse करके समझ लेता है।
- वर्गीकरण (Classification) का गुण आ जाता है।
o चीजों को अलग-अलग वर्गीकृत कर सकता है।
- क्रमबद्धता (Seriation) का गुण आ जाता है।
o चीजों को क्रम में लगाना।
(4). औपचारिक
संक्रियात्मक अवस्था (Formal Operational Stage):-
·
अमूर्त चिंतन/Abstract thought.
·
वीरपूज (Hero worship) की भावना।
·
समस्या समाधान क्षमता का विकास।
· परिकल्पना विकसित करने की योग्यता।